दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा को अब भी राजनीति सीखने की जरूरत क्यों है?

2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही भाजपा के उदय का नया अध्याय शुरू हो चुका था। भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय प्रवक्ता और चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की बूथ मैनेजमेंट का कमाल था कि भारतीय जनता पार्टी को पहली बार लोकसभा चुनाव में जनता ने पूर्ण बहुमत दिया। केंद्र की सत्ता में कांग्रेस का विकल्प आ चुका था और लोगों की आकांक्षाएं उसी अनुपात में बढ़ती जा रही थी।मोदी सरकार ने जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए कई कल्याणकारी काम किए भी हैं। यही कारण रहा कि 2019 में पहले से भी ज्यादा सीटों के साथ विजय हुई। लेकिन समय के साथ भाजपा ने ना तो अपनी राजनीति बदली और ना ही बदलने की कोशिश की। हाँ, सबका साथ सबका विकास के साथ सबका विश्वास का नारा जरूर दिया जो कि चरितार्थ होता नहीं दिख रहा।आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि क्यों भाजपा को अपनी राजनीति में परिवर्तन करने की जरूरत है या यूँ कहें कि राजनीति सीखने की जरूरत है।

1. लोगों से बेहतर संवाद करना जरूरी।

वैसे तो भारतीय जनता पार्टी में एक से बढ़कर एक बेहतरीन वक्ता है, लेकिन फिर भी यह लोग अपने काम को जनता तक प्रचारित करने में विफल रहे हैं।ध्यान देने वाली बात है कि यहाँ मैं मार्केटिंग टेक्निक की बात नहीं कर रहा हूं। मेरा सिर्फ इतना कहना है कि जो काम किए हो उसके बारे में लोगों तक सही तरीके से बताओ तो।आप कानून तो बना लेते हैं लेकिन फिर भी लोगों के मन में कंफ्यूजन बरकरार रहता है। विपक्ष के प्रोपेगेंडा के विरुद्ध आप लोगों तक पहुँच नहीं पाते। यही कारण है कि फिर हमें किसान आंदोलन, CAA protest जैसी चीजें देखने को मिलती हैं।मोदी सरकार ने विगत 7 वर्षों में बिजली, रेलवे, सड़क, ग्रामीण योजना में बेहतरीन काम किया है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि लोगों तक यह सब पहुंच ही नहीं पा रहे हैं।

2.स्थानीय नेतृत्व का अभाव।

रघुवर दास के नेतृत्व में झारखंड में 5 साल तक भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार रही। मोदी जी  कई बार झारखंड गए भी, लेकिन अफसोस कि शीर्ष नेतृत्व को यह पता नहीं चल पाया कि जनता रघुवर दास से नाराज है। आपने अपना नेता नहीं बदला, जनता ने मुख्यमंत्री बदल दिया। क्रिकेट में कई खिलाड़ी अपना विकेट उपहार स्वरूप दे आते हैं। झारखंड में भाजपा ने भी यही किया। गिफ्ट में सत्ता झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को दे दिया। आप इतना भी पता नहीं कर पाए की जनता को भाजपा से दिक्कत नहीं बल्कि रघुवर दास से दिक्कत है।यह झारखंड का उदाहरण मैंने इसलिए दिया कि भाजपा के लोग समझ सके कि राज्यों में उनको एक अच्छा, सुयोग्य और काम करने वाले नेता की आवश्यकता है। यह बात स्पष्ट है कि सिर्फ मोदी जी के नाम पर आप को वोट नहीं मिलेगा।आप केंद्र की सत्ता में रहते हुए भी दिल्ली में केजरीवाल के बराबर कोई नेता खड़ा नहीं कर पाते हैं तो यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है। आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत नहीं है। काँग्रेस और क्षेत्रीय दलों के नाकामियों की वजह से आप कई जगह सत्ता में हैं और यह ज्यादा दिन नहीं चलेगा।

3.आपको लिफ्ट और विरोधियों से प्रमाण पत्र क्यों चाहिए?

लोकसभा में 302 सीटें आने के बाद भी आप कई मामलों में डिसीजन लेते समय घबराते हैं। भाजपा के नेताओं को हमेशा डर लगा रहता है कि वामपंथ क्या कहेगा। विदेशी मीडिया गलत ना छाप दें। हमारी छवि  खराब ना हो जाए। भाजपा को यह समझना होगा कि 2014 के बाद से इनके ऊपर कितने ही वैचारिक हमले हुए हैं। विश्व स्तर पर भारत को बदनाम करने की कोशिश की जा चुकी है। बात चाहे असहिष्णुता की हो, CAA के नाम पर अस्थिरता पैदा करना हो, किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता फैलाना हो या विदेशी न्यूज़ चैनल में बैठकर तथाकथित बुद्धिजीवी लोगों द्वारा मोदी को फासिस्ट कहना हो। हर बार इन्होंने हमले किए और आप चुप रहे। आप अपना तंत्र विकसित नहीं कर पा रहे हैं जिससे कि अराजकता फैलाने वालों को माकूल जवाब दिया जा सके।

4.सरकार चलाने की अनुभव की कमी ।

वाजपेई जी ने किसी तरह कई पार्टियों के साथ मिलकर 5 साल तक सरकार चलाई थी। अभी मोदी सरकार को 7 साल पूरे हो गए हैं तो कुल मिलाकर भाजपा के पास केवल 12 साल केंद्र की सत्ता में रहने का अनुभव है। भाजपा चाहे विपक्ष में रहे या सत्ता में, एक बात तो कभी नहीं भूलती और वह बात है प्रोटेस्ट यानी कि धरना करना। चुनाव के तुरंत बाद बंगाल में हुई हिंसा में भाजपा के कार्यकर्ता मारे जा रहे थे और शीर्ष नेतृत्व धरने पर बैठा था क्योंकि यह लोग सत्ता में रहने के बावजूद भी सिर्फ धरना प्रदर्शन में यकीन रखते हैं। इसलिए शहीन बाग और किसान आंदोलन जैसे आयोजित धरने को हटाने में नाकाम रहते हैं।पिछले सालों में कई फैसले तो मोदी सरकार ने ऐसे लिया है जिन्होंने बाद में या तो बदलना पड़ा या उनमें संशोधन करना पड़ा। यह सभी बातें अनुभव की कमी को दर्शाती हैं।

5. सोशल मीडिया पर रणनीति।

बड़े दुख के साथ आपको बताना पड़ रहा है कि भाजपा और भाजपा के आईटी सेल के लोग अभी भी 2014 वाले मूड में है। इंटरनेट पर इनकी कार्यप्रणाली को देखकर तो ऐसा ही लगता है। आप विपक्ष के फेक न्यूज़ से ग्रसित प्रोपेगेंडा का पर्दाफाश नहीं कर पाते। अगर करते भी हैं तो तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। आपका कोर वोटर आपकी नीतियों की आलोचना करते हैं तो आप उन पर टूट पड़ते हैं। आईटी सेल के नाम पर आपने निष्क्रिय संस्था तो बना दिया, लेकिन आपके लिए असली काम कुछ इंडियन राष्ट्रवादी युवा और पत्रकार करते हैं। वह आपके payroll पर भी नहीं है लेकिन फिर भी आपके लोग उन्हें भला-बुरा कहते हैं।आप अपने कोर वोटर की इज्जत नहीं करते और दूसरों को लुभाने में रहते हैं। यह जानते हुए भी कि वह आपको कभी भी वोट नहीं देगा।मुझे लगता है कि अगर भाजपा को लंबे समय तक केंद्र की सत्ता में रहना है तो ऊपर लिखे हुए बातों पर गंभीरता से विचार करना होगा।
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