कहते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि गाँव में ही होती है। लेकिन अक्सर ये चर्चा होती रहती है कि ग्रामीण जीवन बेहतर है या शहरी जीवन अच्छा होता है। वैसे देखा जाए तो दोनों के अलग अलग फायदे हैं। कुछ लोग तो ऐसा भी कहते हैं कि असली भारत गाँवों में बसता है और इंडिया शहरों में बसता है।
ऐसा नहीं है कि शहरी जीवन अच्छा नहीं होता। शहरों में रहने के अपने अलग फायदे और नुकसान हैं। लेकिन आज इस पोस्ट में भारतीय ग्रामीण जीवन के कुछ पहलुओं पर बात करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि ग्रामीण भारत का जीवन शहरी जीवन से अच्छा क्यों माना जाता है?
1. गाँव सामाजिक संरचना का आधार है।
एक घर में भले ही दो चूल्हे जलते हों, लेकिन आज भी गाँव में ज्यादातर लोग संयुक्त परिवार में ही रहते हैं। आपसी मतभेद और मनमुटाव के बावजूद एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होना गाँव की सामाजिक संरचना को मजबूत बनाती है। कई परिवारों से मिलकर गाँव और फिर कई गाँवों से मिलकर एक पंचायत का निर्माण होता है। गाँव की सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी खासियत है कि यहाँ एक ही गाँव में अलग-अलग जाति और धर्म के लोग रहते हैं। लोगों के पुश्तैनी जमीन और मकान होते हैं।
एक और अच्छी बात यह है कि गाँव में लोग आपको आपके नाम से, आपके पिताजी के नाम से या फिर आपके दादाजी के नाम से जानते हैं, जबकि शहरों में आप अनजान रहते हैं। सामने वाले फ्लैट में रहने वाला व्यक्ति भी आपको नहीं जानता।
2. गाँव में अपनापन है, एकता है।
अगर आप गाँव में रहते हैं तो आपने एक खास तरह का अपनापन जरूर महसूस किया होगा। कोई भी खुशी का मौका हो या कोई दिक्कत परेशानी हो, लोगों के व्यवहार में अपनापन होता है। एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं। मैंने कई ऐसे उदाहरण देते हैं जिसमें भले ही आपस में लड़ाई हो, लेकिन मुश्किल वक्त में लोग एक दूसरे का सहयोग करते नजर आते हैं।
गाँव में अपनापन के साथ ही एकता भी देखने को मिलती है। संयुक्त परिवार और ग्रामीण परिवेश के कारण लोगों में यूनिटी रहती है। कोई भी बाहरी आदमी गाँव में आकर कुछ भी नहीं कर सकता। लोगों के एकजुट रहने से कई बड़े काम हो जाते हैं। सामाजिक कार्यक्रमों और व्रत त्यौहार में भी लोगों की एकजुटता का उदाहरण हमें देखने को मिलता है।
3. गाँव में प्रकृति का निवास है।
नेचर के करीब रहना है तो आप गाँव में रहिए। घर के पास लगे पेड़ पौधे हों, झरना, नदी हो या खेती बारी हो। यह सब प्राकृतिक चीजें एक अलग ही अनुभव देती हैं। सुबह की हवा की ताजगी हो, शाम को बैठक लगाना हो या गाँव में घूमना फिरना हो। ये सब पारंपरिक प्राकृतिक चीजें बहुत अच्छी लगती है। हर मौसम में अलग-अलग खेती के साथ ही हमें सीजनल फल और सब्जियां बिल्कुल शुद्ध और ताजी रूप में मिलती है। सभी प्रकार की खेती करने के लिए गांव के लोग अत्यधिक परिश्रम भी करते हैं। यही कारण है कि गांव के लोगों में शहरों में रहने वालों की तुलना में कम बीमारियां देखने को मिलती हैं।
4. सांस्कृतिक विरासत बची है।
जी हाँ, बिल्कुल सही पढ़ा आपने। एक ओर जहाँ शहरों में रहने वाले लोग पाश्चात्य संस्कृति का अंधाधुन अनुकरण कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गांव में रहने वाले लोग पारंपरिक भारतीय सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप ही कोई कार्य करते हैं और अपनी जीवन शैली में भारतीय सभ्यता का विशेष ध्यान रखते हैं। कोई भी व्रत त्यौहार हो, शादी विवाह के कार्यक्रम या फिर कोई बड़ा उत्सव, हमेशा ही भारतीय संस्कृति की अनुपम झलक गांव में देखने को मिलती है। शहरों में जहाँ एक दिन में ही शादी के सभी कार्यक्रम निपटा दिए जाते हैं, वह गांव में आज भी पारंपरिक रीवाज से तीन-चार दिन तक वैवाहिक कार्यक्रम चलते रहते हैं।
ठीक इसी प्रकार होली दिवाली, दशहरा, महाशिवरात्रि छठ, पूजा, इत्यादि सभी व्रत त्यौहार धूमधाम से मनाया जाते हैं। अगर किसी गांव में किसी कारण से व्रत त्योहार नहीं मनाया जा रहा तो दूसरे गांव में जाकर भी इंजॉय कर लेते हैं।
गांव में मनाए जाने वाले त्योहारों की एक और खास बात है कि अगर दो लोगों में आपसी मनमुटाव भी है तो त्यौहार के बहाने ही सही सारे गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं।
5. शहरों की भागदौड़ और प्रदूषण।
शहरों में लोगों के पास अक्सर समय की कमी रहती है। इसी कारण से जीवन भागदौड़ भरी होती है। एक तरफ जहां गांव में ठहराव है वहीं दूसरी तरफ शहरों में बहुत आपाधापी और भागदौड़ है। सब को एक दूसरे से आगे निकलने की जल्दी है। कुछ लोग तो कंपटीशन से आगे निकलना चाहते हैं तो कुछ जलन के कारण। गांव में यह सब कम ही देखने को मिलता है। गांव में कड़वाहट में भी मिठास है। प्रदूषण, खान-पान और जीवनशैली शहर के लोगों को ज्यादा बीमार कर रही हैं। औद्योगिक विकास के नाम पर शहरों का वातावरण इतना दूषित हो गया है कि कभी-कभी घर से निकलना और सांस लेना भी दूभर हो जाता है। इसके विपरीत गांव में ताजी हवा मिलती रहती है जिससे कि लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है और बीमारियां कम होती है।
©नीतिश तिवारी।
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