हाल ही में यूपीएससी की परीक्षा के परिणाम घोषित हुए हैं। टॉप 4 में लड़कियां ही हैं। सभी ने अपनी मेहनत से सफलता अर्जित की है। सभी सफल अभ्यर्थियों को ढेर सारी शुभकामनाएं। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा है। हालांकि लोग CA और IIT को भी उतना ही कठिन मानते हैं। UPSC की परीक्षा सबसे कठिन इसलिए भी है क्योंकि इसमें पास होने वाले लोगों की सफलता का प्रतिशत 1% से भी कम है। कई लाख लोग हर साल परीक्षा देते हैं और सिर्फ एक हजार के आसपास ही सफल होते हैं, क्योंकि सीट ही उतनी है।
किसी भी परीक्षा या जीवन में भी सफल लोगों की बातें तो हर कोई करता है लेकिन जो लोग असफल हो गए उनका क्या? दुनिया उगते सूरज को ही सलाम क्यों करती है? आज इस ब्लॉग पोस्ट में हम उन्हीं 99% से ज्यादा लोगों की मनोस्थिति को समझने का प्रयास करेंगे। जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र असफल हो जाने के बाद कोई और नौकरी करना पसंद नहीं करते? मतलब उनका एटीट्यूड ही होता है कि IAS नहीं तो कुछ नहीं। तो आइए इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा करते हैं।
1. समाज और सम्मान की चिंता-
यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों के मुंह से आपने अक्सर यह सुना होगा कि, ” जब मैं गांव छोड़कर तैयारी करने के लिए गया तो लोग हंसते थे। लोग कहते थे कि ये बनेंगे कलेक्टर!” ऐसी स्थिति में अगर कोई छात्र असफल हो जाता है तो उसे घर और समाज के पुरजोर विरोध का सामना करना पड़ता है। अगर वह घर बैठकर कुछ नहीं कर रहा तो समझ लीजिए कि जिंदगी नर्क है। अगर बंदे ने कहीं छोटी-मोटी नौकरी पकड़ भी ली तो भी उसे क्या ही स्वर्ग मिल जाएगा? कुल मिलाकर बात यह है कि ताना, दुख, दर्द, पीड़ा साथ नहीं छोड़ेंगे। जब आप जीवन के 4-5 साल एक लक्ष्य की प्राप्ति में लगा देते हैं और वह हासिल नहीं होता तो फिर वह आपके जहन में वर्षों तक रहता है। सिर्फ रहता ही नहीं बल्कि कष्टदायक भी होता है।
इसी में एक बात यह भी है कि आदमी को सम्मान की इच्छा होने लगती है। यह बात दिमाग में बैठ गई होती है कि “हम कर रहे हैं यूपीएससी की तैयारी और हमको चाहिए फुल इज्जत।” कई लोग तो तैयारी के दौरान ही अपने को कलेक्टर और एसपी मान चुके होते हैं। आत्मविश्वास के लिए यह अच्छा भी है लेकिन जब आप फेल हो जाते हैं तो यही कॉन्फिडेंस ओवर कॉन्फिडेंस में परिवर्तित हो जाता है।
2. देश सेवा, पैशन और डेडीकेशन-
तैयारी करने वाले अधिकतर छात्र देश के लिए कुछ करने का सपना देखते हैं। सिविल सर्विसेज उन्हें यह सबसे बेहतर विकल्प लगता है। असफल हो जाने के बाद कोई और नौकरी में उन्हें यह अवसर नहीं मिल पाता। कई लोगों के लिए UPSC डेडिकेशन और पैशन भी होता है। वे अपने आसपास के सफल लोगों को देखकर प्रभावित होते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में कई गांव तो ऐसे हैं जहां से बहुतायत मात्रा में आईएएस आईपीएस बने हैं। ऐसी स्थिति में असफल होने पर मनोस्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है और दूसरी नौकरी करने के लिए कई बार सोचना पड़ता है।
3. तैयारी के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव:
बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जिनका पहले ही प्रयास में यूपीएससी में चयन हो जाता है। जिनका आखिरी प्रयास तक चयन नहीं होता वह कम से कम चार पांच साल तो तैयारी में गुजार ही देते हैं। जिस परीक्षा में सफलता का प्रतिशत 1% से भी कम हो उसमें सफल होने के लिए तैयारी नहीं की जाती अपितु युद्ध लड़ा जाता है और जब आप युद्ध में हार जाते हैं तो भावनात्मक नुकसान तो होता ही है। असफल होने के बाद इससे उबर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
4. दूसरी नौकरी आत्मसंतुष्टि नहीं देती-
आप सोचिये कि किसी चीज को पाने की जिद में आप अपने जीवन के कीमती साल लगा दें और वह आपको ना मिले तो कितना बुरा लगेगा। ऐसा ही फेल हुए छात्रों के साथ होता है। वे कोई और नौकरी कर भी लें तो उससे उन्हें आत्मसंतुष्टि नहीं मिलती। दूसरी नौकरी में वह सम्मान, वो पावर और रुतबा सब मिसिंग होता है जो उन्होंने आईएएस पीसीएस की तैयारी करते समय देखा था।
ये कुछ बिंदुओं पर मैंने बात की। और भी कई कारण हो सकते हैं जो यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को कहीं और नौकरी करने से रोकते हैं। आपके जेहन में कोई और कारण नजर आता है तो जरूर बताएं। पोस्ट कैसी लगी उस पर भी अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। इंतजार रहेगा।
मिलते हैं अगले पोस्ट में। जय हिंद।
©नीतिश तिवारी।
नमस्ते! मेरा नाम नीतिश तिवारी है। मैं एक कवि और लेखक हूँ। मुझे नये लोगों से मिलना और संवाद करना अच्छा लगता है। मैं जानकारी एकत्रित करने और उसे साझा करने में यकीन रखता हूँ।