पिता और पुत्र के संबंध अक्सर खराब क्यों रहते हैं? 

पिता और पुत्र के संबंध की जब भी बात आती है तो मेरे जहन में इतिहास में घटी दो घटनाओं का जिक्र आता है। एक पिता राजा दशरथ थे जिन्होंने अपने वचन से बंधे होने के कारण अपने पुत्र राम को वनवास के लिए भेज दिया। दूसरी घटना महाभारत काल से है जिसमें धृतराष्ट्र के पुत्र मोह ने दुर्योधन को राजा बनाने के लिए विवश किया और फिर जाकर पूरा महाभारत हुआ। जिससे हम और आप भली-भांति परिचित हैं। 
हालाँकि ये दोनों घटनाएँ और पिता और पुत्र के बीच कड़वाहट कि नहीं अपितु प्रेम की ज्यादा है या यूँ कहें की परिस्थिति के अनुसार घटित घटनाएँ हैं जहाँ ज्यादातर पुत्र आज्ञाकारी होते थे। आज कलयुग में न केवल आम जीवन में बल्कि लोगों के बीच रिश्ते और संबंधों में भी अलग तरह की चुनौतियाँ होती हैं। आज इस ब्लॉग पोस्ट में मैं एक पिता और पुत्र के संबंधों में आनेवाली दूरियाँ या कड़वाहट के बारे में बात करूँगा।
कोई भी पिता नहीं चाहता कि उसके और उसके बेटे के बीच किसी प्रकार की अनबन हो या रिश्तो में दरार आए। लेकिन समय के साथ-साथ जैसे जैसे लड़का बड़ा होता जाता है, बातचीत कम होने लगती है। पिता और पुत्र के बीच बातचीत का कम होना ही पहली और सबसे बड़ी परेशानी है। वह इसलिए क्योंकि जब वार्तालाप ही नहीं होगा तो एक दूसरे को समझेंगे कैसे?  एक पिता और पुत्र के बीच संबंधों में दरार के कई कारण हो सकते हैं। आइए कुछ प्रमुख बिंदुओं पर बात करते हैं। 

1. जेनरेशन गैप:

आमतौर पर एक पिता और पुत्र की उम्र के बीच का फासला 30-40 वर्ष का तो होता ही है और इतने सालों में तो पूरी एक जनरेशन बदल जाती है। एक दूसरे के सोचने का तरीका, संसाधन, आसपास का माहौल,समाज, सब में परिवर्तन आता है। कई बार यह बदलाव समस्याएं उत्पन्न कर देता है क्योंकि आपने भी देखा सुना होगा कि हर बात में पिता अपने बेटे से उनके जमाने के बारे में उदाहरण देते रहते हैं। हमारे जमाने में ऐसा होता था। हमारे जमाने में वैसा होता था। 
जेनरेशन गैप को पिता और पुत्र दोनों को ही बहुत सावधानी से हैंडल करना चाहिए। पुत्र को चाहिए कि उसके पिता जो बात बता रहे हैं, उसे ध्यान से सुने और पिता को भी चाहिए कि आज के समय के हिसाब से पुत्र का मार्गदर्शन करें। अगर दोनों लोग सामंजस्य बैठा पाएंगे तो कम से कम जनरेशन गैप की वजह से तो मनमुटाव नहीं होगा। 

2. एक दूसरे को समय ना देना:

किसी भी रिश्ते में एक दूसरे को समय देना बहुत जरूरी होता है। यही बात बाप-बेटे के रिश्ते में भी लागू होती है। हाँ, यह बात सच है कि और रिश्तों की तरह बाप-बेटे के रिश्तो में ज्यादा बातचीत की गुंजाइश नहीं रहती लेकिन कम से कम इतनी बात तो हो कि गलतफहमियां और मनमुटाव पैदा ना हो। जो भी एक दूसरे के मन में है वह कहना देना चाहिए। 

3. दोस्त बनकर ना रहना:

ऐसा कहते हैं कि दोस्ती का रिश्ता बहुत पवित्र और पारदर्शी होता है। एक दूसरे की बात जानने और समझने के लिए इससे बढ़िया कोई रिश्ता नहीं हो सकता। लेकिन क्या हो अगर एक पिता और पुत्र दोस्त बन कर रहे? जब मैं पिता और पुत्र के दोस्त बनकर रहने की वकालत कर रहा हूं तो मेरा यह मतलब कतई नहीं है कि वह वैसे रहे जैसे कि हम उम्र के लोग रहते हैं, वैसा होता भी नहीं है और होना भी नहीं चाहिए।
यहां बाप बेटे के बीच दोस्ती का मतलब यह है कि दोनों के बीच आपसी विश्वास हो, खुल कर बातें साझा करें। एक भावनात्मक सहयोग की बात हो। बेटा अपने बाप को रोल मॉडल माने। उनके जीवन से प्रेरणा ले। अगर बेटा अपने जीवन में कुछ अच्छा करता है तो बाप उसकी तारीफ करें हौसला बढ़ाएं।

4. अवास्तविक उम्मीदें:

कई बार पिता और पुत्र दोनों एक दूसरे से अवास्तविक उम्मीदें पाल लेते हैं। जिसे दोनों के लिए पूरा करना संभव नहीं होता। पिता के पास कई उम्मीदें होती हैं कि उनके पुत्र को क्या हासिल करना चाहिए या उन्हें कैसा व्यवहार करना चाहिए। इस स्थिति में कई बार पुत्र दबाव महसूस करने लगते हैं, जिससे की चीजें खराब होने लगती हैं। मसलन पिता द्वारा पुत्र को पढ़ाई में टॉप करने का हुक्म देना। जब उम्मीदें पूरी नहीं होती तो परिणाम हताशा से भरा हुआ और निराशाजनक होता है जिससे कि पिता-पुत्र के रिश्ते में तनाव आ जाता है।

5. सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव:

कई बार ऐसा होता है कि समाज के दबाव के कारण रिश्ते खराब हो जाते हैं। जैसे कि शर्मा जी ने तो इतनी मेहनत करके सरकारी नौकरी पाई और उनके बेटे को देखो दिन-रात क्रिकेट खेलता रहता है। भले ही वह बेटा आगे चलकर रोहित शर्मा बन जाये। लेकिन समाज का ताना तो उसे सुनना ही पड़ता है। 
कई बार बाप अपने बेटे को उसके जीवन में आगे बढ़ने के लिए अपारंपरिक निर्णय लेने में सपोर्ट भी करता है। लेकिन फिर समाज के अनावश्यक दबाव के कारण बाप का मन भी हटने लगता है।
 तो दोस्तों पिता और पुत्र संबंध पर मेरी यह पोस्ट आपको कैसी लगी। कमेंट में जरूर बताइएगा और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिएगा। मिलते हैं अगले पोस्ट में। 
धन्यवाद!
©नीतिश तिवारी।
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