नमस्कार दोस्तों! एक और नए ब्लॉग पोस्ट में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे भारतीय क्रिकेट के दो महान खिलाड़ियों की जिन्होंने अपने टैलेंट के बल पर भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है। इन दोनों खिलाड़ियों ने ना केवल अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है बल्कि हजारों लाखों युवाओं को क्रिकेट में इंस्पायर भी किया है।
मेरा व्यक्तिगत तौर पर ये मानना है किसी भी क्षेत्र में दो लोगों के बीच तुलना नहीं हो सकती। लेकिन आज जब दोनों ही खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर और महेन्द्र सिंह धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं तो उनके फैंस अक्सर इस बहस में पड़ जाते हैं कि सचिन बेहतर हुआ करते थे कि धोनी। मैं समझता हूम कि अपने समय और रोल के हिसाब से दोनों ने ही क्रिकेट में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
बात सचिन की करें तो 90 के शुरुआती दशक में एक उभरते सितारे के रूप में लोगों ने इन्हें जानना शुरू किया। सचिन का प्रभाव टीम में ऐसा था कि वो भले ही शून्य पर आउट हो जायें लेकिन उनके सिर्फ़ होने मात्र से ही पूरी टीम का मनोबल बना रहता था। सचिन क्रिकेट के इतिहास में एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़ते चले गए और भारत जीतता चला गया।
क्रिकेट का भगवान कोई यूँ ही नहीं बन जाता। सचिन की सबसे खास बात है कि वो अपने आलोचकों को जवाब हमेशा अपने बल्ले से देते थे। आपने शायद ही कभी सचिन को मैदान पर किसी से भिड़ते देखा होगा। सचिन को कई बार टीम इंडिया का कप्तान भी बनाया गया लेकिन वो एक कप्तान के तौर पर उतने सफल नहीं हो पाए। कई बड़े और महत्वपूर्ण मैचों में सचिन का स्कोर ना करना थोड़ी निराशा जरूर देता था लेकिन उससे इनकी महानता कभी कम नहीं हुई। आज भी क्रिकेट के दीवाने लाखों युवा सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानते हैं।
एक तरफ़ जहाँ सचिन ने नब्बे के दशक में एक छत्र राज किया वहीं धोनी ने अपनी बहुमखी प्रतिभा के बल पर 2000 के दशक में भारत को चैंपियन बनाया। अपने पूरे अन्तर्राष्ट्रीय करियर के दौरान धोनी ने जबरदस्त सफलता अर्जित की। सबसे खास बात है कि धोनी, कप्तान, विकेटकीपर और बैट्समैन के ट्रिपल रोल में अपने आप को साबित किया और किसी भी रोल में वो कम नहीं थे। धोनी की कप्तानी ऐसी की शेर के मुँह से उसका निवाला लूट कर ले आयें। वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि “तुम जहाँ सोचना बंद करते हो वहाँ से मेरी सोच शुरू होती है।” धोनी अपने डिसीजन से विरोधी कप्तानों को ऐसा ही एहसास दिलाते थे।
धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को क्रिकेट के तीनों फॉरमेट में नंबर 1 बनाया। विकेट कीपिंग में स्टंपिंग हो चाहे आखिरी बॉल पर छक्का मारकर मैच जिताना हो, धोनी का कोई सानी नहीं।
धोनी की लोकप्रियता का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बहुत कम अवसर ही होता है जब वो ग्राउंड के बाहर बैठते हैं वरना हमेशा अंदर ड्रेसिंग रूम में ही रहते हैं। बाहर रहने पर जनता धोनी-धोनी के नारे लगाने लगती है।
कुल मिलाकर सार ये है कि सचिन ने अपने पूरे करियर में कई कप्तानों के अंडर खेला लेकिन सचिन के वर्ल्डकप जीतने का सपना धोनी ने 2011 पूरा किया वो भी सचिन के घर मुम्बई में। सचिन ने ही BCCI को कप्तान के लिए धोनी का नाम सुझाया था। और धोनी ने सचिन के वर्ल्डकप जीतने का सपना पूरा किया।
इससे बेहतर गुरुदक्षिणा क्या ही होगी!
पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद! पसन्द आयी हो तो शेयर करिये। धन्यवाद!
©नीतिश तिवारी।
नमस्ते! मेरा नाम नीतिश तिवारी है। मैं एक कवि और लेखक हूँ। मुझे नये लोगों से मिलना और संवाद करना अच्छा लगता है। मैं जानकारी एकत्रित करने और उसे साझा करने में यकीन रखता हूँ।