उगता हुआ सूर्य उर्जावान होता है। उगता सूर्य प्रकाशमय होता है जो करोड़ो घरों में रौशनी पहुँचता है। शायद यही कारण है कि लोग सिर्फ़ उगते सूरज को सलाम करते हैं। हालाँकि अस्त होता सूर्य भी उतना ही खूबसूरत होता है। लेकिन उस पर कोई ध्यान न्हीं देता। हमारे दैनिक जीवन में भी यही बात लागू होती है। जब कोई संघर्ष करके सफलता के शिखर पर पहुँच जाता है तभी लोग उसे पहचानते हैं। आम आदमी की कोई पूछ नहीं होती। सब केवल ख़ास के पीछे भागते हैं। जबकि आम आदमी भी अपने जीवन में कम खास नहीं होता।
इस पोस्ट में हम यही जानने की कोशिश करेंगे कि आख़िर क्यूँ सफल व्यक्ति के पीछे ही दुनिया भागती है। ऐसा कहा जाता है कि असफलता अनाथ होती है और सफलता के कई रिश्तेदार होते हैं। मतलब कि अगर आप जीवन में सफल हैं तो बहुत सारे लोग आपके आसपास रहेंगे। आपकी इज़्ज़त करेंगे। आपके बारे में बात करेंगे। लेकिन अगर आप आम इंसान हैं या आपने कुछ करने की कोशिश की और आप असफल हो गए तो कोई आपके बारे में बात नहीं करेगा और ना ही समाज में कोई इज़्ज़त देगा।
आजकल आधुनिक युग में सफलता का सबसे बड़ा पैमाना रुपया हो गया है। अगर आपके खूब रुपया पैसा है तो आपको इज़्ज़त भी मिलेगी। बड़े बड़े लोगों के साथ आसानी से संबंध स्थापित हो जाएँगे। लोग हमेशा अपना उल्लू सीधा करने के लिए लालायित रहेंगे। अगर आप बड़े आदमी हैं और सफल हैं तो आपके सारे काम चुटकियों में हो जाते हैं। समाज में मान सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ने लगती है। लोग आपको सामजिक कार्यो में आने के लिए न्योता देते हैं। इन सब के पीछे अपना स्वार्थ सिद्ध करना ही मकसद होता है।
एक सच ये भी है कि लोग अपनी ज़रूरतों के हिसाब से आपके आसपास भटकते हैं इसलिए अक्सर असफल लोगों के आसपास आपको कोई नहीं दिखेगा। जबकि आदमी सफल हो या असफल, सबको समान भाव से देखना चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है। सफल लोगों को सलाम करने के पीछे एक मकसद ये भी होता है कि आसपास के लोगों को समय समय पर उर्जा मिलती रहती है। चाहे वो रिश्ते बनाने के संबंध में हो, चाहे धन के संबंध में हो या कोई काम करवाने के संबंध में हो।
आज के लिए इतना ही। मिलते हैं अगले पोस्ट में। तब तक के लिए नमस्कार! खुश रहिए, स्वस्थ रहिए।
नमस्ते! मेरा नाम नीतिश तिवारी है। मैं एक कवि और लेखक हूँ। मुझे नये लोगों से मिलना और संवाद करना अच्छा लगता है। मैं जानकारी एकत्रित करने और उसे साझा करने में यकीन रखता हूँ।