भारतीय राजनीति नेता जनता और लुभावने वादे क्या कहता है समीकरण?

2024 के लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है। 7 चरणों में होने वाले इस चुनाव का नतीजा 4 जून 2024 को आएगा। वैसे परिणाम तो पहले से ही तय है कि मोदी 3.0 होने जा रहा है। बस देखना यह है कि भाजपा अपने 400 सीट जीतने के लक्ष्य को पूरा कर पाती है या नहीं।

कोई आरक्षण बचाने की बात कर रहा है तो कोई जातिगत जनगणना की बात कर रहा है। ऐसे में जनता को तय करना है कि वोट किसे देना है? देखिए एक सीधा आकलन तो यह कहता है कि मोदी सरकार के पिछले 10 साल के काम को देख कर जनता को वोट देना चाहिए। विकास कार्यों की एक लंबी लिस्ट है लेकिन भारत में वोट सिर्फ विकास से ही नहीं मिलता है। जब तक उसने जाति धर्म की बात नहीं होगी तब तक सफल नहीं होता है।

चुनाव में लुभावने वादे करने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं रहती। फ्री बिजली पानी बीमा राशन सब फ्री में देने को तैयार हैं। आजकल शिक्षा रोजगार की बात कम होती है। पहले दो तीन पार्टियां मिलकर गठबंधन करती थी। अब की बार तो पूरा विपक्ष ही एक साथ चुनाव लड़ रहा है। जब कई अलग अलग विचारधारा के लोग साथ आते हैं तो आश्चर्य तो होता है साथ ही यह भी भय लगा रहता है कि कब उनका साथ छूट जाए और मैं आपको बता रहा हूं कि 4 दिन के जब चुनाव के परिणाम आएंगे तो सब अलग अलग हो जाएंगे।

वैसे आप सब इस बात से परिचित हैं कि आज भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में पांच ₹500 में और दारू की एक बोतल पर वोट खरीदे जाते हैं। अगर वास्तविक मुद्दों पर जनता वोट करती तो कई नामचीन नेताओं के जमानत जप्त हो जाते। खैर,आप सभी को लोकतंत्र के महा समर की बधाई मतदान अवश्य करें।

©नीतिश तिवारी।

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