ऐसा कहा जाता है कि हम अपने डेली लाइफ में जैसे रहते हैं वैसे ही हम अपने जीवन में सफलता पाते हैं। सफलता किसे नहीं चाहिए? लेकिन उस सफलता की कीमत चुकाने को बहुत कम लोग ही तैयार रहते हैं।
समय प्रबंधन या टाइम मैनेजमेंट एक ऐसी ही चीज है जिसे अगर आपने सही ढंग से कर लिया तो फिर आप नामुमकिन को भी मुमकिन कर सकते हैं। आज इस ब्लॉग पोस्ट में हम इसी विषय पर बात करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कि आख़िर क्यों हम अपने दैनिक जीवन में ठीक से टाइम मैनेजमेंट नहीं कर पाते हैं।
1. समय की कीमत को नजरअंदाज करना:-
आपने अक्सर सुना या पढ़ा होगा कि Time is money. मतलब की समय ही धन है। हम सब जानते हैं कि धन कितना मूल्यवान होता है। अगर आपके पास बहुत सारा पैसा है तो अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बहुत अच्छे से गुजार सकते हैं। पैसा मूल्यवान होता है लेकिन अगर ये खो भी जाए, कम या खत्म भी हो जाए तो आप अपनी मेहनत के दम पर फिर से पैसा कमा सकते हैं। लेकिन क्या बीते हुए समय को फिर से वापस लाया जा सकता है? जवाब है नहीं।
बीता हुआ समय वापस नहीं आता इसलिये समय एक ऐसा धन है जिसकी कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती। कुछ लोग जवानी में खूब एन्जॉय करते हैं। जिन्दगी को एन्जॉय करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन अगर हम इसी जिन्दगी में समय की कीमत को समझते हुए इसका सदुपयोग कर पाएं तो बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। सबको पता होता है कि समय मूल्यवान है। आज, अभी जो समय चल रहा है वो बेशकीमती है। गुजरा हुआ समय वापस नहीं आएगा लेकिन फिर भी हममें से ज्यादातर लोग समय की कीमत को नहीं समझते हैं और उसे नजरअंदाज कर देते हैं।
2. जीवन में आलस्य:-
“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।”
कबीरदास की इन पंक्तियों से आप सभी तो परिचित होंगे ही। कबीर बाबा बरसों पहले हमें शिक्षा दे गए थे कि जो काम कल करना है उसे आज ही कर लो नहीं तो क्या पता कब प्रलय हो जाए। और फिर तुम्हारा वो काम अधूरा ही रह जायेगा। ये बात जानते सब हैं लेकिन करते बहुत कम हैं। आलस्य एक ऐसा रोग है जो हम सभी के अंदर थोड़ी बहुत मात्रा में तो विद्यमान तो है ही।
मशहूर लेखक शिव खेड़ा अपनी किताब ‘जीत आपकी’ में फरमाते हैं कि, ” जो काम आज किया जा सकता है उसे कल पर कभी ना टालें।” कहने का मतलब ये है कि कहीं ऐसा ना हो कि आलस्य के डर से हम वो भी काम को ना करें जो कर सकते हैं और उसे कल के लिए टाल दें।
एक दुकान पर बहुत सुंदर पंक्ति लिखी हुई थी :- “उधार कल से शुरू।” दुकानदार के कहने का आशय ये था कि कल कभी नहीं आता इसलिये उधार माँगकर हमें शर्मिंदा ना करें।
हमें भी ये सुनिश्चित करना होगा कि आलस्य को अपने आस पास भटकने ना दें। आलस्य आपकी उत्पादकता का सबसे बड़ा दुश्मन है। मुझे लगता है कि अगर हम अपने आलस्य पर काबू पा लें तो अपने दैनिक जीवन में समय को ठीक तरह से मैनेज कर पायेंगे।
3. शिफ़्ट वाली नौकरी:-
आजकल के भागदौड़ भरी जिंदगी में नौकरी भी वैसी ही हो गई है। आजकल ज्यादातर क्षेत्र में लोगों को नौकरी भी शिफ़्ट वाली ही मिलती है। हर महीने और कई बार तो हफ्ते में भी शिफ़्ट बदल जाती है। अलग-अलग शिफ्ट में काम करने से ना केवल दिनचर्या खराब होती है बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। कई लोग तो शिफ्ट वाली नौकरी शौक से करते हैं क्योंकि वो एडजस्ट कर लेते हैं। वहीं कई लोगों के लिए ये एक मजबूरी होती है।
4. समाज में झूठा दिखावा:-
मैंने गौर किया है कि झूठी शान और खोखले दिखावे की वजह से कई बार हम इस स्तर पर पहुंच जाते हैं कि कीमती समय को बर्बाद कर लेते हैं। इससे ना केवल हमारी दिनचर्या खराब होती है अपितु हमारी प्रोडक्टिविटी पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
देर रात तक पार्टी करनी हो, बेवजह की यात्रा हो या फिर गैरजरूरी कामों में रुचि लेना हो। ये सब समाज को, अपने आसपास के लोगों को दिखाने के लिए किया जाता है। बहुत लोग यह सब करके खुद को एलीट क्लास का महसूस कराने का निरर्थक प्रयास करते हैं। नतीजा यह होता है कि उनका सारा टाइम टेबल गड़बड़ हो जाता है और फिर वह ठीक से काम नहीं कर पाते हैं।
5. लक्ष्य निर्धारित ना करना:-
एक होते हैं बड़े लक्ष्य और दूसरे होते हैं छोटे लक्ष्य। अंग्रेजी में हम इसको Vision और Mission के नाम से जानते हैं। यहाँ पर मेरा आशय छोटे लक्ष्य से है जो आपके दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि हम बड़े लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, लेकिन जो लक्ष्य डेली पूरे करने चाहिए वह भूल जाते हैं।
छोटे-छोटे काम जो एक दिन में करने हैं या एक हफ्ते या एक महीने में करने होते हैं, वह नहीं कर पाते। जब छोटे लक्ष्य निर्धारित नहीं होते तो समय प्रबंधन नहीं हो पता और दैनिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
6. सोने से पहले मोबाइल देखना:-
कहते हैं कि विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी है। मायने यह रखता है कि हम विज्ञान का इस्तेमाल किस तरीके से करते हैं। आज के समय में बात करूँ तो मोबाईल एक ऐसा वरदान साबित हो रहा है जो आज से पहले
कभी नहीं था।
आपने एक लाइन जरूर सुनी होगी, “Excess of everything is bad.” मोबाइल के केस में भी यही लागू होता है। कई बार हम जरूरत से ज्यादा बिना वजह देर रात तक मोबाइल देखते रहते हैं। आंखों पर जोर पड़ता है, समय खराब होता है और फिर हम एक अच्छी नींद के लिए संघर्ष करने लगते हैं। नींद नहीं आने से कई तरह की समस्याएँ होती हैं और फिर हमारा अगला दिन पूरा खराब हो जाता है।
तो दोस्तों, दैनिक जीवन में सही तरीके से टाइम मैनेजमेंट नहीं कर पाने के कुछ कारण मैंने लिखें हैं। आप इस बारे में क्या सोचते हैं? आपको और कौन से कारण ध्यान में आते हैं? कमेंट करके जरूर बताएं और पोस्ट पसंद आई हो तो शेयर जरुर करें। लेटेस्ट पोस्ट के लिए नोटिफिकेशन भी ऑन कर लीजिएगा। धन्यवाद!
©नीतिश तिवारी।
नमस्ते! मेरा नाम नीतिश तिवारी है। मैं एक कवि और लेखक हूँ। मुझे नये लोगों से मिलना और संवाद करना अच्छा लगता है। मैं जानकारी एकत्रित करने और उसे साझा करने में यकीन रखता हूँ।